क्या चीज़ है ये दिल भी दिलबर
कि आज लिया, कल लौटा दे।
निशां प्यार का, होता रेत नही,
कि आकर पानी, बल मिटा दे।
दो सदियों से हांथों मे मेरे
हाथ किसी का अमानत है।
अब बैठा हूँ खुदगर्ज़ी मे, देखें
आती कब तक, ये कयामत है?
अल्फ़ाज़ों की रहकर छाया मे,
आगाज़ मौन को देता हूँ।
तुझे पाकर तो, मै मर जाता,
तुझे खोकर ही, अब जी लेता हूँ।
तुम मेरी ना, हूँ मै तेरा,
ये पहेली ही, मेरी ज़िन्दगानी है।
तुम जिसकी होकर साथ मेरे,
उसके ख्वाबों की ये कहानी है।
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2 comments:
had read ur posts afer so many days.. really good one dost :)
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