आंखों से तेरा हांथ हटा कर
कुछ कहने को, मैने लब थे हिलाये।
दो बातें कहनी थी तुमसे, और
तुम तीजे की रट थे लगाये।
बीते सावन कितने सारे,
तुम सजना, फिर भी ना आये।
जाने से पहले का वादा
भूं पर मिटने की मर्यादा।
वादा की संदेशे पर
दो आंसू भी निकले ना पाये।
संदेशे आये, आंसू लाये।
तुम सजना, फिर भी ना आये।
चूड़ी का तोहफा चमकीला
चुनरी का जो रंग था पीला।
झुमके की झन-झन पर तुमने
प्रेम भरे जो गीत सुनाये।
टूटी चूड़ी, अब हाथों मे ना समाये।
तुम सजना, फिर भी ना आये।
मेरे होंठों की प्यास अधूरी
तेरे बिना मै कहां हूँ पूरी?
लिये बिना मुझको तुम कैसे
अपने अंत-सफर जा पाये?
तेरी अग्नी, मेरी भी बन जाये
तुम सजना, फिर भी ना आये।
-मनव (१८ अगस्त २००७)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment