Tuesday, December 18, 2007

मौत भी खुशनसीबी सी लगेगी फिर।

ज़िन्दगी मे एक बार प्यार कर के देख,
मौत भी खुशनसीबी सी लगेगी फिर।
यार की जुदाई मे बेकरार हो के देख,
शानोशौकत भी गरीबी सी लगेगी फिर।

एक बार दिल को धड़क जाने दे जरा,
एक बार आंखों को बहक जाने दे जरा।
के एक बार तू भी, बीमार हो के देख,
शक्ल खुद की अजनबी, सी लगेगी फिर।
ज़िन्दगी मे एक बार प्यार कर के देख,
मौत भी खुशनसीबी सी लगेगी फिर।

पतंग की डोर बन, हवा मे लहक के आ,
इस नशे के जाम मे, जरा चहक के आ।
मोहब्बत एक बार बेशुमार कर के देख,
ये दुनियां बहुत महज़बी, सी लगेगी फिर।
ज़िन्दगी मे एक बार प्यार कर के देख,
मौत भी खुशनसीबी सी लगेगी फिर।

सपने देख ले अब तूभी बहार मे,
अंग अंग रिसने दे प्यार के घुबार मे।
एक बार बेपनाह लाचार होके देख,
ये रोशनी भी बेहोशी, सी लगेगी फिर।
ज़िन्दगी मे एक बार प्यार कर के देख,
मौत भी खुशनसीबी सी लगेगी फिर।

-मनव

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