Wednesday, July 04, 2012

बिखरे कण

कुछ कहेंगे तो कहोगी 
कह दिया कितना है किसने
कर सको तो कर दो इतना 
रहने दो मेरे दिल को रिसने


नग्न मन की नस में देखो
लहू कैसा निर्भीक है 
जखम की पीड़ा बताती
निशाना कितना सटीक है

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