Sunday, August 12, 2007

इतना सा बस कहता हूँ

देखो इतना सा कहता हूँ
कस कर दरवाज़े बन्द कर लेना।
दिल को ताले मे रखना और
धड़कन धीरे, चंद कर लेना।

धीरे से, सांसों से कहना
कम कर दें कुछ आना जाना।
झपकें ना ये पलक नयन की
आंखों को इतना समझाना।

कहना होंठों की लाली से
होली तक, बस ये रुक जायें।
कानो की बाली मे लिपटे
मोती को ना अब झलकायें।

बालों से भी कह देना कि
ठीक नही खुल कर रहना।
बेसब्र ना हो ये पल पल मे
अंगड़ाई अपनी से कहना।

इतना सा बस कहता हूँ
बाकी ना हम बतलाएगें।
सुन लो मेरी फ़रियादें वर्ना
कितने दीवाने लुट जायेंगें।

-मनव (13th Aug '07)

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